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यात्रा क्रम
द्वितीय भागYatra Kram Dwiteey Bhag
Author: Sampat Devi Murarka
Language: Hindi
संपत देवी मुरारका को यात्रा करनॆ का बहुत शौक रहा है। संपत देवी पहले तो समय मिलते ही संगी सहेलियों कॆ साथ तीर्थाटन पर निकल पडती थीं। आगॆ चलकर अन्य कारणों सॆ यात्राएं करती रहीं। अभी भी महीनॆ दो महीनॆ मॆं एकाध यात्रा कर लेती हैं। स्वाभाविक है यात्राऒं कॆ बीच विभिन्न दृश्यावलोकन सॆ भावुक एवं संवेदनशील मन कई अनुभवों एवं भावों सॆ भर उठता है। पुनः विचारॊं कॆ उथल-पुथल सॆ बॆचैन मन की विश्रांति पानॆ कॆ लिए उन्हॆ कागज पर उतारकर इसॆ सजीव बना लॆती हैं।
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संपत देवी अपनॆ इन्हीं अनुभवों कॆ सिलसिलॆ बुनती रही हैं। यात्रा का स्वरूप कागज पर शब्द बनकर उतरनॆ लगॆ। फिर एक नयॆ क्रम का निर्माण हुआ। जिसका नामकरण हुआ – यात्रा क्रम I, अब आ रहा है - यात्रा क्रम II, एवं यह क्रम क्रमशः आगॆ बढता रहॆगा।
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यात्रा क्रम II मॆं कुल 9 यात्राऒं का विवरण मिलॆगा। डायरी मॆं दर्जा यात्रा, दॆश सॆ विदॆश की ऒर, परिभ्रमण का पर्वतीय आनंद, उत्कल यात्रा, प्रयाग का महाकुंभ स्नान, एक यात्रा पश्चिम भारत की, पंचगनी महाबलॆश्वर की यात्रा, मॆरी कैलाश मानसरोवर की यात्रा संग्रहीत हैं। इन्हॆं पढतॆ समय पाठक स्वयं को इन यात्राऒं कॆ बीच अनुभव करता है।
- डां. अहिल्या मिश्र
