-
-
भारत यात्रा: तीर्थ एवं दर्शनीय स्थल
Bharat Yatra Teerth Avm Darshniya Sthal
Author: Usha Arora
Publisher: Self Published on Kinige
Pages: 106Language: Hindi
लेखिका का यह पहला संग्रह पर्यटन का एक ऐसा इंद्रधनुष बनाता है जिसमें इतनी छटाएँ हैं कि पर्यटक के मन का रोमरोम सिहर उठता है और कदम बढ़ते ही जाते हैं। भागती जिंदगी से ऊबे और थके मनुष्य के लिये आशा है यह संग्रह उसकी जड़ता को मिटाकर उसे संवेदनशील बना देगा। हर स्थल के इतिहास, वास्तुकला के साथ लेखिका ने अपनी अनुभूतियों को इस तरह पिरोया है कि हर स्थल जीवंत हो उठा है। स्थल तक पहुंचने का मार्ग और स्थानीय जानकारी भी यथासंभव देने का प्रयास किया है। जिससे पर्यटकों को परेशानी का सामना ना करना पड़े। लेख अपनी सारी अनगढ़ता के बाबजूद सहस और संप्रेषणीय है।
साँई ईपब्लिकेशन
माता का बुलावा है-
भारत के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का दरबार है वैष्णों देवी का मंदिर। भक्तों को शांति और कामनाओं की पूर्ति करने वाली मां मनोहारी त्रिकूट पर्वतमाला के अंचल में अवस्थित है। इस धर्मस्थान को प्रकृति ने स्वंय अपने हाथों से रचा है। इस धर्म स्थल की उत्पत्ति कब और कैसे हुई कोई सही जानकारी प्राप्त नहीं है फिर भी इस गुफा के बारे में कई कथाएं प्रचलित है। एक पौराणिक कथा बताती है कि वैष्णों देवी भगवान विष्णु की परम भक्त एवं उपासक थीं और उन्होंने कौमार्यव्रत घारण किया हुआ था। जब ये कुछ बड़ी हुई तो भैरोंनाथ नामक एक तांत्रिक उनकी ओर आकर्षित हो गया, जो उन्हें प्रत्यक्ष देखने का अभिलाषी था। अपनी अभिलाष को पूरा करने के लिये उसने अपनी तंत्र शक्ति का प्रयोग किया और देखा देवी त्रिकूट पर्वत की ओर जा रही हैं। तांत्रिक ने उनका पीछा किया। कहा जाता है कि बाण गंगा स्थान पर जब माता को प्यास लगी तो उन्होंने धरती को अपने बाण से बेध डाला और वहां से जल की धारा निकल पड़ी। यह भी कहा जाता है कि चरण पादुका स्थान का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वहां पर देवी ने विश्राम किया तथा उनके पद चिन्ह वहां आज भी हैं। यही पौराणिक कथा आगे कहती है कि माता आदिकुमारी नामक स्थान पर एक प्राकृतिक गुफा मे तपस्या करने हेतु लीन हो गयीं लेकिन भैरोंनाथ ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। जिस गुफा में माता ने शरण ली थी उसका नाम गर्भ जून पड़ गया। वह वहां भी आ पहुंचा। कहा जाता है माता अपने आप को बचाती हुई दरबार स्थित पवित्र गुफा की ओर अग्रसर हुई। यहां आकर माता ने महाकाली का रूप धारण किया और अपने त्रिशूल के प्रहार से भैरोंनाथ का धड़ काटकर इतने वेग से फेंका कि वह दूर पहाड़ पर जा गिरा। जिस स्थान पर गिरा वहां आज भैरों का मंदिर है। कथा के अनुसार गुफा के द्वार पर स्थित चहान असल में भैरोंनाथ का धड़ है जो पाषाण बन गया था। मां ने भैरोंनाथ को उसके अंतिम समय में क्षमा प्रदान की और यह वरदान दिया कि आने वाले समय में जो भी भक्त माता के दर्शनार्थ आयेगा उसकी यात्रा तभी पूरी मानी जायेगी जब वह वापसी पर भैरों के दर्शन करेगा।
1. माता का बुलावा है-
2. चैत में चलिये माँ पूर्णागिरी के दरबार
3. आस्था का धाम सिद्धपीठ बेलौन माँ
4. आस्था का धाम केलादेवी
5. पिघलती बर्फ गहराती आस्था
6. सागरों का मिलन कन्याकुमारी
7. तप्त धरा का शीतल सौन्दर्य - मसूरी
8. बार बार जायेंगे - मनोहारी ऊटी
9. अनुपम कोडैकानाल
10. चलिए मंदिरों की नगरी पालिताना
11. पर्यटक बार बार याद करता है - जगन्नाथपुरी
12. पवित्र धाम द्वारिका
13. ज्योतिर्लिंग का आराधना स्थल - रामेश्र्वरम
14. देवस्थली सोमनाथ मंदिर
15. पत्थरों पर उकेरी कला - रणकपुर के मंदिर
16. गोआ के मंदिर
17. लहरों पर बुनता लहरिया गोआ
18. बेमिसाल गिरजाघर
19. एलिफेंटा की गुफाएं
